सातवे भाव मे शुक्र का प्रभाव

सातवे भाव मे शुक्र जातक को सुन्दर नयननक्श वाली, तथा अच्छे कुल की पत्नी देता है, ऐसे जातक स्त्री के प्रति समर्पित होते है, कही कही जातक को एक से अधिक सम्बन्ध हो जाते है,”!’ ऐसे जातक ऐसो आराम का अच्छा लुब्ध उठाते है, “|

कहा जाता है शुक्र सातवे भाव मे होने पर जातक पिछले जन्म मे बुरा तथा निष्ठुर राजा हुआ होगा, जिसने अपने दायित्यो को सही ढंग से निर्वाहन नहीं किया है, जिसकारण इस जन्म मे काफी कम उम्र मे उसे बड़े भारी दायित्व प्राप्त हो जाते है,, “”!!’

इस भाव मे शुक्र के कारण जातक काफी धैर्यवान और उदार प्रकृति का होता है, इसके साथ वाह अपने अन्य सदस्यो से अधिक लोकप्रियता भी प्राप्त करता है, ‘”|

विलास पूर्ण जीवनसाथी के कारण जातक सही निर्णय नहीं ले पता है, तथा उसके मन मे काम के प्रति आकर्षण अधिक होता है, ऐसे जातक भरपूर जीवनसाथी का आनंद लेते है “,,, !

छटे भाव मे शुक्र

इस भाव मे शुक्र होने पर शुभ और अशुभ दोनों तरह के फलो की प्राप्ति होती है, यह स्थिति होने पर जातक स्त्री के प्रति निष्ठुर होता है, आप अपने कुल मे श्रेष्ट सदस्यो मे एक हो सकते है, आपमें विवेकवान होने के गुण मौजूद होंगे, किन्तु इस भव मे शुक्र के कारण गुरुजन से भी आपका विरोध हो सकता है

आपको भाई बहन का उत्तम सुख मिलेगा, सुतरु आपका नुकसान भी कर सकते है, कुछ मामले मे आप शत्रु पर विजय प्राप्त करेंगे, अपकी संगति मे बुरे मित्र अधिक हो गे, जबकि अच्छे मित्र कम हो सकते है, आपके मामा को कन्या संतान अधिक होंगे, “!

हो सकता है आपकी प्रथम संतान पुत्र हो, आपको अच्छे पुत्र और पौत्रो का सुख प्राप्त होगा, स्त्रीसुख कम हो सकता है या फिर किसी, तरह की गुप्त समस्याओ हो सकती है,,, विवाह मे देरी का अनुभव करेंगे, !”

आपके खर्चे आपकी आमदनी से अधिक हो सकती है, “

द्वादश से जीवन मे कार्यछेत्र का उद्देश्य

हैल्लो  दोस्तों, आज  हम  जानेंगे  अपने  जीवन  मे  हम किस उद्देश्य  से  जन्म  लिया है, मतलब ये की हम अपने जीवन मे किस  छेत्र  से  नाम कमाएंगे,  या  फिर  पैसे  कमायेंगे !

क्या?  हम  अपने  जीवन  मे  नाम  कमा  पाएंगे  या  नहीं, और  अगर  नाम  कमा  लिया  तो  किस  बुलंदी  तक  जा  सकेंगे   !
क्या  हमारा  जीवन  सामान्य  होगा , या  दूसरे  लोगो  से बेहतर  होंगी  !

हम  किस  काम  से  अपना  भविष्य  को  और  बेहतर  कर  पाएंगे ? 
क्या  हम  अपने  परिवार  खानदान  का  नाम  रौशन  कर पाएंगे  या  फिर  ऐसे  ही  बेवजह  जीवन  काट  देंगे ?
इस  तरह  के  और  ना  जाने  कितने  सारे  प्रश्न  आपके  या  आपके  लिए  आपके  परिवार  वालो  के  दिमाग़  मे  अति  रहती  होंगी, आज  आपको  आपके  इन्ही  सभी  सवालों  के जवाब  इस  पोस्ट  मे  मिल  जायेंगे !!
तो  चलिये  सबसे  पहले  जानते  है  की ” दसवा  घर  किसका  होता है ” 
दसवा  घर  पराक्रम  का  होता  है,  मै  अपने  जीवन  मे क्या  बनूँगा  या  क्या  करूँगा  इसी भाव  से जानते  है ,  दसवे  घर का  कारक  होता  है  !  सूर्य,  बुद्ध ,  शनि  और  मंगल !

• सूर्य  और  मंगल  इस  घर  मे  द्विगबली  होते  है, यह  घर पिता  का  होता  है  तथा सूर्य  व पिता  कारक  ग्रह  है इसलिए  इश  जगह  सूर्य  बिराजमान  हो  तो  जातक  के लिए  बेहद  शुभ  होता  है  जिससे  जातक  को  सरकारी नौकरी  मिलने  की  संभावना  बेहद  बाद  होती  है !

• इस  घर  मे  यही  मंगल  विराजमान  हो  तब  jatak गणितीय विभाग, इलेक्ट्रिकल  विभाग, या इंजीनियरिंग  विभाग मे अपना नाम, सोहरत प्राप्त करता है !
• अगर  इस  घर  मे  चन्द्रमा  विराजमान  हो  तब  जातक  जल से  जुड़े  विभाग  मे  कार्यरत  होता  है  जैसे  जल सेना, पाया विभाग,  जल  आयोग  इत्यादि !

• यदि  इस  घर  मे  बुद्ध  विराजमान  हो  तो  जातक  बोलने  मे काफ़ी  माहिर  होता  है  तथा अधिक  रूपवान भी होता है जिसकारण  ऐसे  जातक  फिल्म  जगत,  काला  जगत,  सिंगर,  हीरो,  डिज़ाइनर  इत्यादि  बनते  है !
• अगर  इस  घर  मे  शुक्र  बिराजित  होता  है  तो  फिर  ऐसे जातक  फूलो  के  कारोबारी,  इत्र  का  ब्यापार, कॉस्मेटिक, वस्त्र  इत्यादि  के  कारोबार  मे  सफलता  पाते  है ! 
• ऐसा  देखा  गया  है  की  यदि  इस  जगह  सूर्य  के साथ  राहु  बैठ  जाता  है  तो  वाह  ब्यक्ति  अच्छे  राजनेता  बन जाते  है  ऐसा  ही  शनि  के  साथ  भी  होता  है  इस  घर  मे  राहु  के विराजमान  होने  पर  जातक  का  कार्य छेत्र  काफ़ी  तेजी  के साथ  आगे  बढ़ता  है !

• राहु  केतु  के  प्रभाव  से  दसवे  घर  मे  काफ़ी  बड़े  कार्यभार की  तरफ  जातक  को  अग्रसर  कर   देता  है, राहु  को  कलयुग  का  राजा  भी  कहा  जाता  है , जहा  राहु  पॉलिटिक्स  मे  सफलता  दिलवाता  है,  वहीँ  केतु  जातक  को  एक अच्छा  ज्योतिष , दयालु  ह्रदय  वाला, विदेशो  से पैसा  कमाने  वाला  तथा  इंटरनेट  की  सहायता  से  धनवान  बनता  है  !!

Note: लोगो के अंदर कार्य करने की छमता का प्रधान दसवा घर ही है, इस  घर  से  आप  अपने  पिता  की  हर  स्थिति  को  पढ़  सकते  है  अगर  ये  बली  है  तो  आपके  पिता  व स्वस्थ  होंगे, और  अगर  ये  घर  कमजोर  है  तो आपके  पिता का  स्वास्थ्य  भी कुछ  खास  अच्छा  नहीं  होगा, अपने कर्मछेत्र  को  सही  करने  के  लिए  आपको  अपने पिता  की सेवा  करनी  होंगी , जो काफ़ी हद तक आपके कार्य  मे आ रही  बधाओ  को  दूर  कार्य  देगा !! 

                            ” Thanks “

शुक्र की स्थिति कुंडली के सभी भाव मे

हेलो  दोस्तों,  कुंडली  मे  आपलोगो  ने  देखा  होगा  की  शुक्र ग्रह  बेहद  खास  रोल  अदा  करती  hai, हमारी  जितनी  भी इच्छाएं  है  सभी  को  शुक्र ग्रह  ही  पूरी  तरह  से  परिपूर्ण करती  है  !  हलाकि  यह  एक  दानव  ग्रह  है  परन्तु  जीवन ही  सुख  सुविधा  को देने  मे  इसका हाथ  भी  कहा  गया  है, यह  वास्तव  मे वीर्य का कारक  है,  इस  ग्रह  का  नाम  देवगुरु  शुक्राचार्य  के  नाम से  पड़ा  ऐसा  तो  आप  सभी  जानते  ही  होंगे, तो आइये जानते  है  शुक्र  ग्रह  से  जुडी  कुछ  रोचक  तथ्य  :

शुक्र ग्रह की कुंडली मे उपस्थिति :
1.कुंडली  मे  जब  शुक्र  मेष  राशि  अर्थात  पहले  घर  मे  होता  है तब  जातक थोड़ा  आशिक  मिजाज  होता  है  हलाकि  उसे  पैसे  की कोई  कमी  नहीं  होती  परन्तु  समय  समय  पर  उसके  चरित्र  पर  कोई  ना  कोई  सवाल  उठते  ही  रहते  हैं, शुक्र  की  महादशा  या  अन्तर्दशा  मे  इन्हे सावधानी  बरतनी  चाहिए, ऐसे  समय मे  ये  लोग  दुसरो  के प्रेमजाल  ने  आसानी  से  फंस  सकते  है !

2.कुंडली  मे  जब  शुक्र  अपने  घर  मतलब  बृषभ  राशि  मे होता  है  तब  यह  अच्छा  परिणाम  देता  है, तथा  वहा बैठकर  ये  द्विगबली  हो  जाता  है  जिसकारण जातक  या जातिका  को  एक   रूपवान  अथवा सुन्दर नयन नक्श वाली पत्नी मिलती है. !
3.शुक्र  ग्रह  जब  कुंडली  के  तीसरे  घर  मे  बैठता  है  तो उस  घर  को  प्रभावशाली बना देता है, परन्तु  तीसरा घर मेहनत  का  घर  है  इसलिए  जातक  को अपनी पत्नी  को ख़ुश  रखने  या  विवाह  करने  मे  अधिक  मेहनत  करना  पड़ता है , शुक्र  था  बुद्ध  की  युति  अपने  आप  मे  बेहद खास  है  साथ  साथ  यह  धनयोग  व  देता  है !

4.चौथा  घर  चन्द्रमा  का  होता  है, अर्थात  माता  का  जो जातक  को  धन्यवाद  दौलत  भवन  गाड़ी  तथा  सभी भौतिक  सुखो  की  प्राप्ति  करवाता  है,  इस घर  मे  दुस्ट  ग्रह  जैसे  राहु  केतु  होने  पर  माता  के  स्वास्थ्य  मे  थोड़ी कमी  अति  है  या  ऐसा  व  देखा  गया  है  की  जातक  का माता के साथ बनती ही नहीं है, परन्तु यह घर सुख ही सुख देता  है  इसलिए  इसे  जागृत  करे , जिसके  लिए आपको अपनी  माता से  सम्भन्ध अच्छे  रखने  होंगे  तथा थोड़ी सेवा करने  से  भी बेहतर  परिणाम मिलेंगे, इस घर मे शुक्र ग्रह बेहद शुभ मना गया है !
5.पांचवा  घर  संतान  तथा  आय  का  होता  है, इस  घर  मे  शुक्र  का होना  ये  बताता है  की  भविष्य  मे आपको  एक अच्छी पुत्री  मिलेगी !

6.छठा  घर  वैसे  तो  अच्छा  नहीं  माना  गया  है  परन्तु  इस  घर   के  स्वामी  स्वयं   बुद्ध  अर्थात  गणेश जी है  जिसकारण  शुक्र और बुद्ध  की इस्तिथि  अच्छी  मानी  जाती है  इनसे धनयोग बनता है  !

7.सातवां  घर  पत्नीv का  अथवा  पति  का  होता है  जातक के  सातवे  घर  मे  अगर  शुक्र  बैठा  हो  तो  ये  बेहद  शुभ माना  जाता  है,  कहा  जाता  है  शुक्र  ग्रह  सातवे  घर  मे  हो तब  अच्छी  जीवन  साथ  का  चयन  होता  है  तहा धर्मपरायान  होती  है  साथ  साथ  सद्गुणों  की  मालकिन  होती  है  और  अपने  पति  के  लिए  तत्पर  होती  है  !

8 अठवा  घर  बिलकुल  अच्छा  नहीं  मना  गया  है , यहाँ  शुक्र  ग्रह  की उपस्थिति  भी अच्छी नहीं होती है, ऐसा  होने  पर  जातक  अथवा  जातिका  का  विवाह  देर से  होता है, था जीवन  व  थोड़ा  कस्टकारी  होता  है, अठवा  घर  ससुराल  पक्छ  का  होता  है  इसलिए जातक  को  शादी   होने  मे  दिक्कते  अति  है 

ग्रह को सांत करने के उपाय  : इस घर को सांत करने के लिए माता संतोषी की नियमित पाठ पूजा तथा व्रत का विशेष महत्व है, ऐसा करने से  उस घर की पीड़ा समाप्त होती है तथा शादी मे  आने वाली दिकत्ते दूर होती है, एवं शुक्रवार को सफ़ेद कपडे पहने मीठा खाये तथा गरीबो को मीठा दान करे !!

9.नाउँमा  घर  बेहद  शुभ  होता  है  और  अगर  इस  घर  मे शुक्र  ग्रह  बिराजमान  हो जाये  ती इसकी शुभता  और  बढ़ जाती  है, ऐसे जातको  का  भाग्योदय  उसके  जीवनसाथी  के मिलने  के  बाद  होती  है , अर्थात  वही  सहारा  बनता  है !!
10. दसवे  घर  मे  शुक्र  ग्रह  की  इस्तिथि  ना तो बहुत  अच्छी  होती  है  और  ना  ही  बहुत  बुरी, परन्तु  शनि  के साथ  इस  ग्रह  की  बिलकुल  नहीं  बनती !!
11.ग्यारवा भाव भी सनी देवता का भाव है जिसकारण यहाँ भी शुक्र की उपस्थिति  अच्छी नहीं मानी गयी है !!

12 बारहवा  भाव  शुक्र  ग्रह  के लिए  बेहद  शुभकारक  होता  है  वैसे तो ये मोक्छ का घर है और शुक्र ग्रह कामुकता  को व दर्शाता है, जिसकारण इस घर मे शुक्र की इस्थिति यह बताती है की जातक अपने आप पर काबू पर चूका है jis कारण  बारहवे घर से उसे शुभता ही शुभता प्राप्त होती है, यह घर शुक्र के सभी सुख को जातक को दिलवाता है !!

Note:  शुक्र  जिस  भी  घर से  द्वादस  अर्थात  शुक्र  के बाद  आने  वाले ग्रहो  की  शक्ति  दुगुनी  कर  देता  है ! शुक्र और बुद्ध के तालमेल से महालक्मी योग का निर्माण होता है, जो जातक को उसकी सभी सुखो को दिलवाता है तथा वहा कभी खाली हाथ नहीं होता !! 

पंचम भाव मे शुक्र

पंचम भाव मे शुक्र होने पर जातक किसी कवि की तरह अपने आशावादी जीवन मे खोया रहता है, जातक सजावटी संसार के प्रति अपने आप आप मे टान महसूस करता है, बोलने की कला मे माहिर होता है, !””

खुद को सजा स्वर कर पेश करना जातक को अच्छा लगता है, शुक्र यदि पंचम भाव मे हो तो जातक को एक कन्या पुत्री अवश्य होती है, औऱ शुक्र की महादशा मे पुत्री द्वारा जातक को काफी ऐशो आराम का सुख व मिलता है, |

ऐसे जातक जब तक अपनी आँखों से होता हुआ ना देख ले, उन्हें दुनिया मे सारे चमत्कार ढकोशला ही प्रतीत होते है,,… “!

कभी कभी देखा जाता है की काफी काम आयु मे संसार के प्रति जातक को विरक्ति आ जाती है, किसी से मोह माया नाम मात्र रह जाता है,

कम्प्यूटर, तथा शुक्र से सम्बंधित वस्तुए को खरीद बेचकर भी ऐसे लोग धन्यवाद कमाते है, !”इन्हे भाफवन से अधिक अपने कलाकार मन पर विश्वास होता है,

इसतरह के जातक उम्र के आखिरी पड़ाव मे आकर काफी कुछ गवा बैठते, तथा धनहीन जीवनसाथी ब्यतीत करते है, उनकी अवलाद पारिवारिक सुख से ज्यादातर भौतिक सुखो की ओर भागते देखे जाते है, जिसकारण जातक समय से पहले सारे रिश्ते नातो से मुंह फेर लेता है !!””

चौथे भाव मे शुक्र

चौथे भाव का शुक्र अर्थात कर्क राशि मे शुक्र होने पर जातक मे कामुकता अधिक पायी गयी है, स्त्री को पुरुष के प्रति तथा पुरुष को स्त्री के प्रति आकर्षक बनता है !”

शुक्र चौथे भाव मे होने पर जातक परोपकारी होता है तथा इनके हर कार्य मे अपनी इमेज बनाने के प्रति सजग रहते है, !”

जातक का घर या कार्यछेत्र के आसपास बड़ा जलीय स्थान देखा गया है, क्युकी चन्द्रमा जल को दर्शाता है इसलिए जातक पुरे जीवन जल के आसपास ही ज्यादा समय ब्यतीत करते है |

जातक को काफी सजवती पाया जाता है, जब शुक्र चौथे भावमे विराजमान हो तब हर कार्य मे सजावट पसंद करता है,

ऐसे जातक जल सेना अतवार अंतरिक्ष से जुड़े कार्यों मे कार्यरत होते है

ग्रहो की युति प्रतियुति से लाभ हानि

कभी कभी देखा जाता है, कुंडली मे एक ही घर मे कई गृह विराजमान हो जाते है, दो ग्रहो के मेल को युति तथा तीन या इससे अधिक ग्रह प्रतियुति कहलाते है,

कुंडली पूरी तरह से 360° का होता है, इसलिए प्रत्येक भाव 30° का प्रभाव रखता है, अगर कोई गृह किसी भाव मे अकेला विराजमान है तो वाह अच्छा या बुरा अपना 30° का प्रभाव देगा,

जबकि दो ग्रहो के मेल से दोनों गृह अपने आधे आधे पभाव ही दे पाएंगे जैसे – किसी कुंडली मे चौथे भाव मे शुक्र औऱ बुद्ध विराजमान है तो दोनों का अपना 15°, 15° का योग देंगे, जबकि इनदोनो ग्रहो का मेल अच्छे फल ही देंगे,

इसी प्रकार कभी कभी बुरे ग्रहो का मेल शुभ भावों मे हो जाते है जिससे जातक को काफी समस्याओ का सामना करना पड़ जाता है,

अच्छे ग्रहो की युति या प्रतियुति अच्छे फल देते है जबकि बुरे ग्रहो की युति अथवा बुरे ग्रहो की प्रतियुति बुरे फल देते है,

किसी किसी की कुंडली मे ऐसा भी देखा जाता है की अच्छी औऱ बुरी दोनों तरह की युति या प्रतियुति बन रही है, तब अशुभ गृह प्रतियुति जातक को बुरे कार्यों मे लीप्त करना चाहेंगे, जबकि अच्छे ग्रहो की प्रतियुति जातक को ख़ास मौक़े पे रोक लेंगे,

अच्छे ग्रहो के मेल जातक के अंदर शुभता देंगे, जबकि बुरे ग्रहो की युति जातक कों गलत मार्ग प्रसस्त करेंगे, जैसे – कुसी कुंडली मे मंगल शुक्र की युति बन रही हो औऱ उसी कुंडली मे सूर्य गुरु की युति बन रही हो.. तो जब जब मंगल शुक्र युति जातक को मुशीबत मे डालती है तब सूर्यगुरु युति उसे उस मुशीबत से बाहर निकलती है, |

कहने का अर्थ है, बुरे ग्रहो से अच्छे ग्रह जातक के सदैव रक्षा करते है, अंततः जातक शुभ मार्ग पर अधिक होता है |”””